सहायता अनुदान अनुभाग (जीआईए)

जी आई ए सेक्शन के अंतर्गत उर्दू भाषा के विकास एवं प्रचार व प्रकाशन हेतु निम्नलिखित स्कीमें चल रही हैं।

जीआईए स्कीमों का परिचयः

  • सेमिनार, कान्फ्रेंस, वर्कशॉप, मुशायरे हेतु वित्तीय सहायता की स्कीमः इन स्कीमों का ध्येय उर्दू भाषा का विकास करने वाली सक्रियताओं हेतु अन्य संस्थाओं की सहायता करना है। इस स्कीम के अंतर्गत विभिन्न एन जी ओज़, वी ओज़, ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी, डिपार्टमेंट के अतिरिक्त, व्यक्तियों की भी वित्तीय सहायता की जाती है। सोसाइटी एवं ट्रस्ट के मामले में उनका नीति आयोग एन जी ओ पोर्टल दर्पण https://ngodarpan.gov.in पर रजिस्टर्ड होना आवश्यक है। इसी अवस्था में ही सोसाइटी, ट्रस्ट वित्तीय सहायता प्राप्त करने में सक्षम होंगे। वित्तीय सहायता हेतु सुझावों का चुनाव करने हेतु राष्ट्रीय समाचार-पत्रों में विज्ञापन एवं प्रचार द्वारा इसमें रुचि रखने वाले व्यक्तियों से सुझाव मांगे जाते हैं। तै तिथि के भीतर प्राप्त होने वाले सुझावों को इस मक़सद हेतु एनसीपीयूएल द्वारा बनाई गई जी आइ ए कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। जिन व्यक्तियों या एजेंसी को वित्तीय सहायता दी जाती है, उनको पैसे के प्रयोग का सर्टिफिकेट एवं आयोजित प्रोग्राम की विस्तृत रिपोर्ट परिषद् के सामने प्रस्तुत करना आवश्यक है। कभी-कभी एनसीपीयूएल से इन प्रोग्रामों के संचालन हेतु आब्ज़रवर भी भेजे जाते हैं।
  • पांडुलिपियों हेतु वित्तीय सहायता की स्कीमः इस स्कीम का ध्येय स्तरीय उर्दू के मैटर के प्रकाशन को बढ़ोतरी देने के मक़सद से उर्दू, अरबी एवं फ़ारसी के लेखकों, अनुवादकों, संकलनकर्ताओं एवं प्रकाशकों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है। इस स्कीम का पहले राष्ट्रीय समाचार-पत्रों में विज्ञापन दिया जाता है एवं फिर प्राप्त होने वाले आवेदन-पत्रों को जी आइ ए कमेटी के सामने प्रस्तुत किये जाते हैं। मान्यता मिलने के पश्चात वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इस स्कीम के परिणामस्वरूप विभिन्न विषयों पर पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है, जिनका क्षेत्र, शिक्षा, भाषा विज्ञान, साहित्य, बच्चों का साहित्य, चिकित्सा, यूनानी चिकित्सा एवं विज्ञान आदि है। चुनी गई पांडुलिपियों की पूरक कापियां पूरे देश की विभिन्न लाइब्रेरीयों में भी वितरित की जाती हैं।
  • योजनाओं हेतु वित्तीय सहायता की स्कीमः यह स्कीम उर्दू, अरबी एवं फ़ारसी में शोध के कार्यों एवं शैक्षिक योजनाओं के विकास हेतु तथा उर्दू, अरबी व फ़ारसी में स्तरीय शोध के मैटर उपलब्ध करने के मक़सद से तैयार की गई है। किसी संस्थान या किसी स्कॉलर को किसी महत्वपूर्ण योजना हेतु वित्तीय सहायता के मक़सद से, पहले इस स्कीम का राष्ट्रीय समाचार-पत्रों में विज्ञापन दिया जाता है फिर प्राप्त होने वाले सुझावों को एन सी पी यू एल द्वारा गठित जी आइ ए कमेटी के सामने प्रस्तुत किया जाता है एवं इस कमेटी की सिफारिश के आधार पर योजना को स्वीकार कर लिया जाता है। इसके बाद इसके सारांश की सॉफ्ट कॉपी एनसीपीयूएल की वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाती है।
  • पुस्तकों/पीरियाडिक्ल्स/जर्नल्स की भारी मात्रा में ख़रीदारीः इस स्कीम का ध्येय भारी मात्रा में उर्दू, अरबी, फ़ारसी की पुस्तकें पीरियाडिक्ल्स एवं जनरल ख़रीद कर देश के कोने कोने में स्थित विभिन्न लाइब्रेरी, संस्थानों में बांटकर एवं उर्दू, अरबी व फ़ारसी में लेखकों, संपादकों, अनुवादकों एवं प्रकाशकों का स्तरीय पुस्तकों के प्रकाशन हेतु प्रोत्साहन करके उर्दू भाषा का विकास एवं प्रचार करना है। इस स्कीम के अंतर्गत ग्रांट देने की कार्य प्रणाली यह है कि विज्ञापनों के द्वारा आवेदन पत्र मांगे जाते हैं एवं इस ध्येय हेतु इन्हें एनसीपीयूएल द्वारा गठित कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। कमेटी की सिफारिश पर पुस्तकों की खरीदारी को स्वीकृति दी जाती है।
अनुदान सहायता योजनाएं(जीआईए स्कीम)
शैक्षिक योजनाएँ