उर्दू प्रेस को बढ़ावा देना

यू एन आई उर्दू सर्विस

विभिन्न व्यक्ति जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को अलग-अलग शब्दों से अभिव्यक्त करते हैं। श्रोताओं के आधार पर भी अभिव्यक्ति की भाषा भिन्न हो जाती है। साहित्य में गद्य, कविता और नाटक (ड्रामा) की भाषा भी भिन्न होती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए भी भाषा अलग होती है। यही हालात साहित्यिक प्रयालोचन में भी है और यह पत्रकारिता के लिए भी सच है।

पत्रकारिता की भाषा हमेशा अपने श्रोताओं की रूचि और मानसिकता के अनुसार रखी जाती है। शब्दों का चयन और शैली ऐसी होती है जो श्रोताओं के हृदय और मस्तिष्क पर कब्ज़ा जमा सके। उर्दू पत्रकारिता और प्रेस (समाचार) ने अपनी कमियों के बावजूद भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान अदा किया। उर्दू प्रेस के इस प्रकांड योगदान ने स्वतंत्रता के पश्चात सामाजिक स्थिरता, धार्मिक सामंजस्य और अल्पसंख्यकों की विचार प्रक्रिया को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एन0 सी0 पी0 यू0 एल0 ने उर्दू पत्रकारिता और प्रेस को प्रबल बनाने के लिए महत्वपूर्ण क़दम उठाए हैं ताकि यह आधुनिक युग में आने वाली चुनौतियों जैसे संचार प्रौद्योगिकी और हस्तांतरण प्रौद्योगिकी में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सके।

यू0 एन0 आई0 उर्दू टेली-प्रिन्ट सेवाओं का आरम्भ सन् 1992 में हुआ था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा यू0 एन0 आई0 उर्दू को प्रथमतः 25 लाख रूपये का अनुदान दिया गया था जो कि उर्दू टेली-प्रिन्ट के लिए आवश्यक उपकरण खरीदने के लिए था।

परिषद् उर्दू के छोटे और मध्यम समाचार पत्रों को यू0 एन0 आई0 की उर्दू सेवाओं को लेने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। जिससे समचारों को बिना उर्दू में अनुवाद किये उर्दू में ख़बरें और रिपोर्ट पेश करने में सहायता मिलती है। बाद में यह योजना बी0 पी0 यू0/एन0 सी0 पी0 यू0 एल0 को सौंप दी गई जो 01.01.1995 से परिचालित है।

आज राष्ट्रीय स्तर पर इस सेवा से उर्दू के 96 दैनिक समाचार पत्र जुड़े हुए हैं। यह सेवाएं कम्प्यूटीकृत हैं और इनके लिए विशेष सॉफ़्टवेयर तैयार किया गया है।

यू0 एन0 आई0 उर्दू की इन सेवाओं की ख़रीदारी पर समाचार पत्रों को 50% और जम्मू कश्मीर में 75% अनुवृत्ति एन0 सी0 पी0 यू0 एल0 की तरफ़ से दी जाती है। इन सेवाओं के लिए वार्षिक 25 लाख रूपये का अनुदान दिया जाता है। यह अनुवृत्ति यू0 एन0 आई0 उर्दू सेवाओं को प्रस्तुत की जाती है। इस योजना की निगरानी परिषद् द्वारा की जाती है। यू0 एन0 आई0 सम्बंधित समाचार पत्रों के खातों में पैसे देने के बाद उपयोग प्रमाण पत्र परिषद् में जमा कराती है।

इन सेवाओं के कारण उर्दू समाचार पत्रों का स्तर राष्ट्रीय समाचार पत्रों के समानांतर पहुंच गया है। उर्दू समाचार पत्रों की बिकने वाली प्रतियों की संख्या भी बढ़ गई है जिसके कारण समाचारों में विविधता आई है।